कोविड-19 संकट के चलते दुनिया में गरीबों की संख्या बढ़कर एक अरब से अधिक हो सकती है और अत्यंत गरीब लोगों की संख्या में जुड़े 39.5 करोड़ लोगों में से आधे से अधिक लोग दक्षिण एशिया के होंगे. एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया का इलाका गरीबी की मार झेलने वाला दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्र होगा.
यह सब बातें किंग्स कॉलेज लंदन और ऑस्ट्रेलियन नेशनल युनिवर्सिटी के शोधार्थियों के एक अध्ययन में सामने आयी हैं. यह अध्ययन संयुक्तराष्ट्र विश्वविद्यालय के वैश्विक विकासात्मक अर्थशास्त्र शोध संस्थान के एक नए जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
अध्ययन में कहा गया है कि मध्यम आय वर्ग वाले विकासशील देशों में गरीबी नाटकीय रूप से बढ़ेगी जो वैश्विक स्तर पर गरीबी को बढ़ाएगा.
अध्ययन के अनुसार यदि 1.90 डॉलर प्रति दिन की आय को गरीबी का पैमाना माना जाए और महामारी से इसमें 20 प्रतिशत का संकुचन हो तो अतिरिक्त 39.5 करोड़ अत्यंत गरीबों की श्रेणी में आ जाएंगे. इनमें करीब आधे से अधिक लोग दक्षिण एशियाई देशों के होंगे. इसका प्रमुख कारण भारत की बड़ी आबादी का गरीब होना है.गरीबी के दलदल में फंसने वाले नए लोगों में 30 प्रतिशत यानी 11.9 करोड़ अफ्रीका के सहारा मरुस्थलीय देशों में होंगे.
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ऐसे में दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया के विकासशील देशों में फिर से गरीबों की संख्या बढ़ सकती है. इस अध्ययन के मुताबिक महामारी से उपजे संकट के चलते दुनियाभर में गरीबों की संख्या एक अरब से ऊपर पहुंच सकती है.